आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Thursday, December 4, 2008

घरों मे बात करने से , ये मसले हल नही होंगे "

" पडेगा हम सभी को अब , खुले मैदान मे आना
घरों मे बात करने से , ये मसले हल नही होंगे
"

डा. उदय ’मणि ’

6 comments:

"अर्श" said...

bahot khub sahab wah jabardast likha hai aapne .......

राकेश खंडेलवाल said...

लिखा है आपने जो कुछ,मेरी सहमति उसी से है
जो करना है अभी करना, करें जैसे न कल होंगे

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया व सही लिखा।

दिनेशराय द्विवेदी said...

अब कोई बात बनी।

हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी

के मुकाबले बेहतर है।

योगेन्द्र मौदगिल said...

behtreen hai bandhu...
anand aaya aapke blog par

कंचन सिंह चौहान said...

kuchh log jo likhte hai.n best likhte hai.n...aap un me ek hai.n