आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Sunday, January 17, 2010

बस माँ का हाथ सर पे , हमेशा बना रहे ..

रहता है अन्धेरा तो अन्धेरा घना रहे
दिन रात दिक्कतों से भले सामना रहे
इसके सिवाय कुछ भी नहीं चाहते हैं हम
बस माँ का हाथ सर पे हमेशा बना रहे

डा उदय मणि