आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
सफर में जा रहे हो तो , किसी से बात मत करना कसम है दोस्ती हरगिज़ ,किसी के साथ मत करना मैं जब बहार निकलता हूँ , मेरी माँ रोज कहती है समय से लौट आना तुम , ज़्यादा रात मत करना डॉ उदय ' मणि '