आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
घरों मे बात करने से , ये मसले हल नही होंगे "
" पडेगा हम सभी को अब , खुले मैदान मे आना
घरों मे बात करने से , ये मसले हल नही होंगे "
डा. उदय ’मणि ’
6 comments:
bahot khub sahab wah jabardast likha hai aapne .......
लिखा है आपने जो कुछ,मेरी सहमति उसी से है
जो करना है अभी करना, करें जैसे न कल होंगे
बहुत बढिया व सही लिखा।
अब कोई बात बनी।
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
के मुकाबले बेहतर है।
behtreen hai bandhu...
anand aaya aapke blog par
kuchh log jo likhte hai.n best likhte hai.n...aap un me ek hai.n
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