आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
और कुछ है भी नहीं देना हमारे हाथ में दे रहे हैं हम तुम्हें ये "हौसला " सौगात में हौसला है ये इसे तुम उम्र भर खोना नहीं है तुम्हें सौगंध आगे से कभी रोना नहीं मत समझना तुम इसे तौहफा कोई नाचीज है रात को जो दिन बना दे हौसला वो चीज है जब अकेलापन सताए ,यार है ये हौसला जिंदगी की जंग का हथियार है ये हौसला हौसला ही तो जिताता ,हारते इंसान को हौसला ही रोकता है दर्द के तूफ़ान को हौसले से ही लहर पर वार करती कश्तियाँ हौसले से ही समंदर पार करती कश्तियाँ हौसले से भर सकोगे जिंदगी में रंग फ़िर हौसले से जीत लोगे जिंदगी की जंग फ़िर तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में
है अँधेरा आज थोड़ा सा अगर तो क्या हुआ आ गयी कुछ देर को मुश्किल डगर तो क्या हुआ दर्द के बादल जरा सी देर में छँट जायेंगे कल तुम्हारी राह के पत्थर सभी हट जायेंगे चाहते हो जो तुम्हें सब कुछ मिलेगा देखना हर कली हर फूल कल फ़िर से खिलेगा देखना फ़िर महकने - मुस्कुराने सी लगेगी जिंदगी फ़िर खुशी के गीत गाने सी लगेगी जिंदगी घोर तम हर हाल में हरना तुम्हारा काम है "दीप "हो तुम रौशनी करना तुम्हारा काम है पीर की काली निशा है आख़िरी से दौर में अब समय ज्यादा नहीं है जगमगाती भोर में देख लो नजरें उठाकर ,साफ दिखती है सुबह देख लो अब जान कितनी सी बची है रात में तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में
डॉ उदय 'मणि' कौशिक 23 जून 2008