आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Wednesday, December 31, 2008

सभी मित्रो व् साथियों को नव वर्ष की अनन्य शुभकामनाएं

सभी साथियों

एवं समस्त मित्रों

को

नव - वर्ष की

अनन्य शुभकामनाएं

" जहां पर भी अंधेरा हो , खुशी के दीप जल जायें
दुखों की बर्फ़ के सारे , जमे पर्वत पिघल जायें
भरा हो हर्ष से नव-वर्ष का, हर दिन हर इक लम्हा
सभी की आंख के सपने , हकीकत मे बदल जायें "

डा. उदय ’ मणि ’ कौशिक
एवं
परिवार