आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Saturday, July 12, 2008

बहुत बदलाव आएगा ...( ग़ज़ल )

न होते आज तक हम लोग भूखे और प्यासे से
बहलना छोड़ देते हम अगर झूठे दिलासे से

तमाशा कह रहे हो तो ,तमाशा ही सही लेकिन
बहुत बदलाव आएगा , हमारे इस तमाशे से

अभी हंस लो हमें छुटपुट पटाखे सा बताकर तुम
तुम्हारी धज्जियाँ उड़ जाएँगी इनके धमाके से

हमें झोंका समझते हो अभी तक आपने शायद
किले गिरते नहीं देखे , हवाओं के तमाचे से ..........

डॉ उदय 'मणि' कौशिक
94142 - 60806