आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Sunday, February 21, 2010

कमाल है ....( गज़ल )



सारा तो काम हमने संभाला कमाल है
फ़िर भी तुम्हारे हाथ मे छाला कमाल है

मुद्दत से जो चिराग जले ही नहीं कभी
वो कह रहे हैं खुद को उजाला कमाल है

लाजमी था आज तो मुंह खोलना मगर

सबकी जुबां पे आज भी ताला कमाल है


भरता है जो किसान जमाने के पेट को
मिलता नहीं है उसको निवाला कमाल है

पेडों पे जुल्म वो भी बहुत ढा रहे थे पर
तुमने तो इनको काट ही डाला कमाल है

डा उदय मणि