आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Thursday, April 2, 2009

मेहरबां को हुआ आज क्या देखिये - ग़ज़ल



मेहरबां को हुआ आज क्या देखिये
कर दिये गम हज़ारों अता देखिये


भूख दी , प्यास दी, दी हैं मजबूरियां
और क्या देगा हमको खुदा देखिये


जख्म गहरे है , दर्दो का अंबार है
फ़िर भी हंसते हैं हम, हौसला देखिये

जिस अदा ने मेरे दिल को घायल किया
आइने मे वो अपनी अदा देखिये


हमने ओढी , बिछायी है रुसवाइयां
उनके खातिर हमारी वफ़ा देखिये

जिनको हंसना सिखाया उन्हें खल गया
मुस्कुराना हमारा जरा देखिये