दुआएं कीजिये कुछ देर को सूरज निकल जाए
किसी के खौफ से कोई ,यहाँ कुछ कह नहीं पाता
मगर सब चाहते तो हैं ,कि ये मौसम बदल जाए
करो श्रृंगार धरती का , इसे इतना हरा कर दो
तबीयत बादलों की आप ही इसपे मचल जाए
अँधेरा रह नहीं सकता ,किसी भी हाल में बिल्कुल
अगर सबकी निगाहों में , सुबह का ख्वाब पल जाए
बहुत ग़मगीन है माहौल ,कुछ ऐसा करो जिस से
तुम्हारा दिल बहल जाए ,हमारा दिल बहल जाए
डॉ उदय 'मणि' कौशिक