आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
" पडेगा हम सभी को अब , खुले मैदान मे आना
घरों मे बात करने से , ये मसले हल नही होंगे "
डा. उदय ’मणि ’
खून से लथपथ न हों अखबार तो...
मौत की खबरें न हों दो चार तो
ना दिखें चलते हुये हथियार तो
पढ के लगते ही नहीं के पढ लिये
खून से लथपथ न हों अखबार तोडा. उदय मणि