आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Tuesday, March 24, 2009

इन चिरागो कि परवाह मत कीजिये - मुक्तक

" ये जलेंगे हर-इक हाल मे रातभर

ये करेंगे उजाला हमेशा इधर

इन चिरागो कि परवाह मत कीजिये

इनपे होता नही है हवा का असर "


डा। उदय ’मणि’