आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Sunday, July 27, 2008

एक और आव्हान ...


देख लो नजरें उठाकर हर तरफ़
हो रही हैं साजिशें अलगाव की
गीत - ग़ज़लों के विषय बदलो जरा
अब जरूरत है बहुत बदलाव की ...
डॉ उदय 'मणि' कौशिक