आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
किसी तूफ़ान का जिनके जहन में डर नहीं होता हवाओं का असर ऐसे चिरागों पर नहीं होता समय रहते सियासत की शरारत जान ली वरना किसी का धड नहीं होता किसी का सर नहीं होता अगर जी - जान से कोशिश करोगे तो मिलेगी ये सफलता के लिए ताबीज़ या मंतर नहीं होता किसी की बात को कोई यहाँ तब तक नहीं सुनता किसी के हाथ में जब तक बड़ा पत्थर नहीं होता डॉ उदय 'मणि' कौशिक