आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
कहूं गर आज महफ़िल मे , सहे कितने सितम दिल ने नहीं मुमकिन बयां इसकी , सही मैं दासतां कर दू
हुआ नाकाम ही अक्सर , जहां की ठोकरें खाकर न अब ये वक्त पे हंसता , न गम के दौर मे रोता परेशां हूं मैं खुद इससे , करूं किससे गिला शिकवा न ये दुनिया मेरी सुनती , न अब ये दिल मेरी सुनता अगर टूटे हुये दिल का , नजारा खुद करे दुनिया मैं धोकर जख्म अश्कों से जहां के रूबरू कर दूं
कहूं गर आज महफ़िल मे , सहे कितने सितम दिल ने नहीं मुमकिन बयां इसकी , सही मैं दास्तां कर दू
पिलाया गम इसे अक्सर , सुकूं का नाम ले लेकर सदा ही दर्द बख्शा है , इसे बेदर्द दुनिया ने सताया आज तक इसको , वफ़ा का नाम ले लेकर मिलाया खाक मे देखो , इसी बेदर्द दुनिया ने यकीं आयेगा तब उनको , जो आंखें फ़ेर बैठे हैं अगर मैं सामने उनके , शिकस्ता दिल अभी कर दूं
कहूं गर आज महफ़िल मे , सहे कितने सितम दिल ने नहीं मुमकिन बयां इसकी , सही मैं दास्तां कर दूं
आज दर्द की प्रिया बनी हुयी है जिंदगी
अभाव की उडी पतंग , जिंदगी के गांव में
पल रही मुसीबते , बरगदों की छांव मे
आह भर रही बहार , पतझरों के द्वार पर
स्वार्थों के पेड से बंधी हुयी है जिंदगी
आज दर्द की प्रिया बनी हुयी है जिंदगी
धो रही नसीब आंख आंसुओं की धार से
बुला रही है पीर पास , धडकनो को प्यार से
कांपते हैं पांव ,सांस आखिरी सी ले रहे
मिलावटों के नाग की , डसी हुयी है जिंदगी
आज दर्द की प्रिया बनी हुयी है जिंदगी
उग रहे हैं शूल आज , जिंदगी की राह मे
बेबसी बदल गयी है रात के गुनाह मे
बह रहे हैं घाव , आह - सिसकियां लिये हुये
भूख की सलीब पर टंगी हुयी है जिंदगी
आज दर्द की प्रिया बनी हुयी है जिंदगी
पाप थपथपा रहा है , जिंदगी के द्वार को
पोलियो सा हो गया है , स्नेह के विचार को
आंधियों के काफ़िले ने पांव बांध से दिये
उलझनो की धूल मे सनी हुयी है जिंदगी
आज दर्द की प्रिया बनी हुयी है जिंदगी
मेहरबां को हुआ आज क्या देखिये
कर दिये गम हज़ारों अता देखिये
भूख दी , प्यास दी, दी हैं मजबूरियां
और क्या देगा हमको खुदा देखिये
जख्म गहरे है , दर्दो का अंबार है
फ़िर भी हंसते हैं हम, हौसला देखिये
जिस अदा ने मेरे दिल को घायल किया
आइने मे वो अपनी अदा देखिये
हमने ओढी , बिछायी है रुसवाइयां
उनके खातिर हमारी वफ़ा देखिये
जिनको हंसना सिखाया उन्हें खल गया
मुस्कुराना हमारा जरा देखिये