जनकवि स्व . श्री विपिन 'मणि' एवं विख्यात चिकत्सक और युवा रचनाकार डॉ . उदय 'मणि' कौशिक की उत्कृष्ट हिन्दी रचनाएँ ....
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा आज केवल आज अपने दर्द पी लें हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
Friday, November 28, 2008
मुक्तक
छुपाओ मत जमाने को सुलगते बाग़ दिखने दो दिलों में आग है तो फ़िर दिलों की आग दिखने दो हकीकत अब सभी की सामने आनी जरूरी है कहाँ बेदाग है दामन कहाँ पे दाग दिखने दो
bahut khub // wo baag....dilon mei lagti aag ... wo haqiqat jaladi saamne aayegi..... wo daag bhi jaroor dikhainge..... samporn hain ye shabd is chote se muktak mei.........
नाम ; डॉ , उदय 'मणि' कौशिक जन्म : 9 दिसम्बर 1973 , कोटा ,राजस्थान शिक्षा : B. H. M.S (बेचलर ऑफ़ होम्योपैथिक मेडीसिन एंड सर्जरी ) राजस्थान यूनिवर्सिटी ,जयपुर लगभग ढाई वर्ष तक कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित , नशा मुक्ति केन्द्र पर मनोविज्ञान विशेषज्ञ एवं चिकित्साधिकारी के पद पर सेवा पूजनीय पिताजी (जनकवि श्री विपिन 'मणि ') के देहावसान के बाद अगस्त 2002 से कोटा में 'उत्कर्ष होम्योपैथिक क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर ' का सफल सञ्चालन तीन अंतर्राष्ट्रीय होम्योपैथिक सेमिनार सहित करीब 34 राष्ट्रीय कोंफ्रेंस में मुख्य वक्ताके रूप में भागीदारी होम्योपैथिक चिकत्सा के अद्भुत व चमत्कारिक परिणामों का प्रमुख समाचार पत्रों में अनेकों बार प्रकाशन व्यवसाय : होम्योपैथिक चिकित्सा (क्लासिकल होम्योपैथी ) अभिरुचियाँ : लेखन (कविता ,गीत, ग़ज़ल एवं व्यंग एवम् सामयिक ), ड्राइंग , पेंटिंग , अभिनय (रंगमंच),ऐनाउन्सिंग, संगीत विशेष : अब तक कोटा सहित कई शहरों में ' मेमोरी ' 'कंसंट्रेशन 'अवं पर्सनेलिटी डवलपमेंट पर करीब 76 सेमिनारों में व्याख्यान1995 से 2001 तक आकाशवाणी जयपुर पर उद्घोषक (एनाउंसर ) कोटा सहित कई शहरों के मंचों पर काव्य पाठ आकाशवाणी ,जयपुर से काव्य पाठ के अनेक प्रसारण रविन्द्र मंच , जयपुर पर कई नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन (सबसे सस्ता गोश्त ,पंचनामा ,हल्ला बोल ,आदि) कई पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में कविताओं ,ग़ज़लों आदि का प्रकाशन
3 comments:
ha.n sach kaha....ab sab satyata dikhani hi chahiye
bahut khub //
wo baag....dilon mei lagti aag ...
wo haqiqat jaladi saamne aayegi.....
wo daag bhi jaroor dikhainge.....
samporn hain ye shabd is chote se muktak mei.........
एक दर्पण,दो पहलू और ना जाने कितने नजरिये /एक सिपाही और एक अमर शहीद का दर्पण और एक आवाज
अक्षय,अमर,अमिट है मेरा अस्तित्व वो शहीद मैं हूं
मेरा जीवित कोई अस्तित्व नही पर तेरा जीवन मैं हूं
पर तेरा जीवन मैं हूं
अक्षय-मन
छुपाओ मत जमाने को सुलगते बाग़ दिखने दो
दिलों में आग है तो फ़िर दिलों की आग दिखने दो
Nice , very nice
Gaharai hai aapke mukatqak me..
Regards
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