आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
मेहरबां को हुआ आज क्या देखिये - ग़ज़ल
मेहरबां को हुआ आज क्या देखिये
कर दिये गम हज़ारों अता देखिये
भूख दी , प्यास दी, दी हैं मजबूरियां
और क्या देगा हमको खुदा देखिये
जख्म गहरे है , दर्दो का अंबार है
फ़िर भी हंसते हैं हम, हौसला देखिये
जिस अदा ने मेरे दिल को घायल किया
आइने मे वो अपनी अदा देखिये
हमने ओढी , बिछायी है रुसवाइयां
उनके खातिर हमारी वफ़ा देखिये
जिनको हंसना सिखाया उन्हें खल गया
मुस्कुराना हमारा जरा देखिये
8 comments:
जख्म गहरे है , दर्दो का अंबार है
फ़िर भी हंसते हैं हम, हौसला देखिये
-बहुत उम्दा!!
समीर जी से बिल्कुल सहमत ....बेहतरीन रचना है जी
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
sundar rachna, achchhe bhaw
भूख दी , प्यास दी, दी हैं मजबूरियां
और क्या देगा हमको खुदा देखिये
वाह ...बेहतरीन ग़ज़ल कही है भाई...हर शेर अच्छा है...
नीरज
मेहरबां को हुआ आज क्या देखिये
कर दिये गम हज़ारों अता देखिये
हमने ओढी , बिछायी है रुसवाइयां
उनके खातिर हमारी वफ़ा देखिये
sabhi sher bahut achchey lagey.shukirya.
बहुत खूब.
डॉ. साहब,
बहुत खूब लेखनी है.
जख्म गहरे है , दर्दो का अंबार है
फ़िर भी हंसते हैं हम, हौसला देखिये
मैं क्या यह समझू कि एक मनोचिकित्सक होने के नाते आप अवसाद को दूर भगाने के अलावा अपने मरीज का हौसला भी बढाते हैं.
मुकेश कुमार तिवारी
gr8combination, science and poetry?? hmm now i can say no one has copy write on creativity..
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