आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Sunday, March 22, 2009

इशारे कम समझता हूं - मुक्तक

मै चंदा कम समझता हूं , सितारे कम समझता हूं

मैं रंगत कम समझता हूं, नजारे कम समझता हूं

उधर वो बोलता कम है नजर से बात करता है

इधर मेरी मुसीबत मैं , इशारे कम समझता हूं

डा उदय मणि

3 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

उधर वो बोलता कम है नजर से बात करता है

इधर मेरी मुसीबत मैं , इशारे कम समझता हूं
पसंद आया .

योगेन्द्र मौदगिल said...

BEHTREEN............

Vikram Thakur said...

utsah badane ke liye dhanyvad