आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Wednesday, July 9, 2008

अपने बारे में ...

बहुत इज्जत से नवाजा है ज़माने ने हमें

कुछ न कुछ देंगे नया हम भी ज़माने के लिए ....

जनकवि स्व श्री विपिन 'मणि'

2 comments:

विजय-राज चौहान said...

आप की प्रतिकिर्या के लिए सुकर्या !
आपका मित्र
विजयराज चौहान
http://http://e-hindibharat.blogspot.com/

gazalkbahane said...

priy dr.mani
lanam din par shubhkamana hetu dhanyvad.aake blog ka safar kiya.safar suhana raha.yah jankar aur khushi hui ki ham aap dono chitsakhsetr me hain
shyam skha shyam