जनकवि स्व . श्री विपिन 'मणि' एवं विख्यात चिकत्सक और युवा रचनाकार डॉ . उदय 'मणि' कौशिक की उत्कृष्ट हिन्दी रचनाएँ ....
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा आज केवल आज अपने दर्द पी लें हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
priy dr.mani lanam din par shubhkamana hetu dhanyvad.aake blog ka safar kiya.safar suhana raha.yah jankar aur khushi hui ki ham aap dono chitsakhsetr me hain shyam skha shyam
नाम ; डॉ , उदय 'मणि' कौशिक जन्म : 9 दिसम्बर 1973 , कोटा ,राजस्थान शिक्षा : B. H. M.S (बेचलर ऑफ़ होम्योपैथिक मेडीसिन एंड सर्जरी ) राजस्थान यूनिवर्सिटी ,जयपुर लगभग ढाई वर्ष तक कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित , नशा मुक्ति केन्द्र पर मनोविज्ञान विशेषज्ञ एवं चिकित्साधिकारी के पद पर सेवा पूजनीय पिताजी (जनकवि श्री विपिन 'मणि ') के देहावसान के बाद अगस्त 2002 से कोटा में 'उत्कर्ष होम्योपैथिक क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर ' का सफल सञ्चालन तीन अंतर्राष्ट्रीय होम्योपैथिक सेमिनार सहित करीब 34 राष्ट्रीय कोंफ्रेंस में मुख्य वक्ताके रूप में भागीदारी होम्योपैथिक चिकत्सा के अद्भुत व चमत्कारिक परिणामों का प्रमुख समाचार पत्रों में अनेकों बार प्रकाशन व्यवसाय : होम्योपैथिक चिकित्सा (क्लासिकल होम्योपैथी ) अभिरुचियाँ : लेखन (कविता ,गीत, ग़ज़ल एवं व्यंग एवम् सामयिक ), ड्राइंग , पेंटिंग , अभिनय (रंगमंच),ऐनाउन्सिंग, संगीत विशेष : अब तक कोटा सहित कई शहरों में ' मेमोरी ' 'कंसंट्रेशन 'अवं पर्सनेलिटी डवलपमेंट पर करीब 76 सेमिनारों में व्याख्यान1995 से 2001 तक आकाशवाणी जयपुर पर उद्घोषक (एनाउंसर ) कोटा सहित कई शहरों के मंचों पर काव्य पाठ आकाशवाणी ,जयपुर से काव्य पाठ के अनेक प्रसारण रविन्द्र मंच , जयपुर पर कई नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन (सबसे सस्ता गोश्त ,पंचनामा ,हल्ला बोल ,आदि) कई पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में कविताओं ,ग़ज़लों आदि का प्रकाशन
2 comments:
आप की प्रतिकिर्या के लिए सुकर्या !
आपका मित्र
विजयराज चौहान
http://http://e-hindibharat.blogspot.com/
priy dr.mani
lanam din par shubhkamana hetu dhanyvad.aake blog ka safar kiya.safar suhana raha.yah jankar aur khushi hui ki ham aap dono chitsakhsetr me hain
shyam skha shyam
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