आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Thursday, March 5, 2009

दुनियादारी सीख गया - एक मुक्तक

दिल मे नफ़रत मुंह पे बातें , प्यारी प्यारी सीख गया
सारी तिकडम , तौर - तरीके सब अय्यारी सीख गया
बुरा नहीं है अच्छा है ये जो कुछ मेरे साथ हुआ
इसके कारण मैं भी थोडी , दुनिया दारी सीख गया

सादर
डा. उदय ’ मणि’

1 comment:

नीरज गोस्वामी said...

उदय जी क्या खूब कहा है आपने...सीधे सरल शब्दों में गहरी सच्ची बात...वाह
नीरज