आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Friday, March 27, 2009

श्री गणेश लाल व्यास " उस्ताद " - एक स्केच

कल से कोटा मे साहित्य अकादमी एवं " विकल्प" जन सांस्क्रतिक मंच द्वारा
विख्यात कवि स्व श्री गणेश लाल व्यास " उस्ताद " की जन्म शताब्दी पर
दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हो रहा है
इस संदर्भ मे इस कार्यक्रम के लिये कल मैने श्री गणेश लाल व्यास " उस्ताद "
का एक स्केच बनाया है

3 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

स्कैच बहुत सुंदर है। बधाई!

राकेश खंडेलवाल said...

आपकी चित्रकारी शब्दों से चल कर रंगों को रंगीन बनाती है.

स्केच सुन्दर और सफ़ल आयोजन की शुभकामनायें

विजय प्रताप said...

सुन्दर स्केच बनाया है. मैं भी विकल्प के कार्यक्रम में था. वहां भी आपका चित्र देखा. यह अच्छा है की आप केवल डाक्टर नहीं है, जैसा की ज्यादातर होते हैं.
विजय प्रताप
कोटा