आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Friday, August 15, 2008

प्रिय " दीप " को रक्षा - बंधन पर " हम सब " की ओर से , असीम स्नेह के साथ ...



और कुछ है भी नहीं देना हमारे हाथ में
दे रहे हैं हम तुम्हें ये "हौसला " सौगात में

हौसला है ये इसे तुम उम्र भर खोना नहीं
है तुम्हें सौगंध आगे से कभी रोना नहीं
मत समझना तुम इसे तौहफा कोई नाचीज है
रात को जो दिन बना दे हौसला वो चीज है

जब अकेलापन सताए ,यार है ये हौसला
जिंदगी की जंग का हथियार है ये हौसला
हौसला ही तो जिताता ,हारते इंसान को
हौसला ही रोकता है दर्द के तूफ़ान को

हौसले से ही लहर पर वार करती कश्तियाँ
हौसले से ही समंदर पार करती कश्तियाँ
हौसले से भर सकोगे जिंदगी में रंग फ़िर
हौसले से जीत लोगे जिंदगी की जंग फ़िर

तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में

है अँधेरा आज थोड़ा सा अगर तो क्या हुआ
आ गयी कुछ देर को मुश्किल डगर तो क्या हुआ
दर्द के बादल जरा सी देर में छँट जायेंगे
कल तुम्हारी राह के पत्थर सभी हट जायेंगे

चाहते हो जो तुम्हें सब कुछ मिलेगा देखना
हर कली हर फूल कल फ़िर से खिलेगा देखना
फ़िर महकने - मुस्कुराने सी लगेगी जिंदगी
फ़िर खुशी के गीत गाने सी लगेगी जिंदगी

घोर तम हर हाल में हरना तुम्हारा काम है
"दीप "हो तुम रौशनी करना तुम्हारा काम है
पीर की काली निशा है आख़िरी से दौर में
अब समय ज्यादा नहीं है जगमगाती भोर में

देख लो नजरें उठाकर ,साफ दिखती है सुबह
देख लो अब जान कितनी सी बची है रात में

तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में


डॉ उदय 'मणि' कौशिक
23 जून 2008

11 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुन्दर, भावपूर्ण और आशा संचार करने वाला गीत।
********************************
रक्षा-बंधन का भाव है, "वसुधैव कुटुम्बकम्!"
इस की ओर बढ़ें...
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकानाएँ!

कंचन सिंह चौहान said...

jaane kis ne kis ke liye likhi ye kavita, magar hame laga ki hamra bhai hamse kah raha hai ki

तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में
aur hausalaa aa gaya chalne ka..... bahut hi achchhi rachana... vishwas maniye khushi se ankhe nam ho gai

Anonymous said...

achchha geet hai....

ek urjavan geet......

Dr. Chandra Kumar Jain said...

बहुत सार्थक...सकारात्मक
और
प्रभावशाली प्रस्तुति.
ऐसे हौसले की ज़रूरत
बहुतेरे लोगों को है.
इस तरह अपनी बात
लोगों तक पहुँचाना
इंसानियत का हक अदा करना है.
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आपको बधाई भाई.
डा.चन्द्रकुमार जैन

योगेन्द्र मौदगिल said...

wah....
achhi kavita...
manoram bhav.......

shelley said...

तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में
sach me achchhi kavita hai aapki

ताऊ रामपुरिया said...

घोर तम हर हाल में हरना तुम्हारा काम है
"दीप "हो तुम रौशनी करना तुम्हारा काम है


सशक्त रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनाएं !

Advocate Rashmi saurana said...

bhut khub. ati uttam.

anilpandey said...

सुंदर रचना के लिए धन्यवाद् ! इस राखी त्यौहार पर हर किसी को ही कुछ न कुछ करनें के लिए प्रेरणा देती है ।

ताऊ रामपुरिया said...

प्रिय डाक्टर साहब ,
परिवार एवं इष्ट मित्रों सहित आपको जन्माष्टमी पर्व की
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! कन्हैया इस साल में आपकी
समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करे ! आज की यही प्रार्थना
कृष्ण-कन्हैया से है !

आज मेरी ब्लॉग लिस्ट पर आपका ब्लॉग दिखने लगा है !

shelley said...

तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में

sach me hausla hi rasta dikhaten hain