आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............
जनकवि स्व .विपिन 'मणि '
आव्हान ...( आज के बम - धमाकों के जवाब में )
इस धरा पर दोस्तों , फ़िर गिद्ध मंडराने लगे मौत का समान फ़िर जुटने लगा , कुछ कीजिये .....
7 comments:
bilkul sach kahaa aapne.
बहु सही कहा।
जरुर पढें दिशाएं पर क्लिक करें ।
बहु को बहुत पढें।
आपकी यह प्रस्तुति भावपूर्ण है।
दीपक भारतदीप
aahwaan sahi kiya
bhut sahi kha rhe hai aap. ati uttam.
प्रोत्साहन के लिए आप सभी का आभारी हूँ..
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