आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा

आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
रौशनी ही रौशनी होगी, ये तम छंट जाएगा


आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा

आज अपना हो न हो पर कल हमारा आएगा ............

जनकवि स्व .विपिन 'मणि '

Friday, July 25, 2008

आव्हान ...( आज के बम - धमाकों के जवाब में )

इस धरा पर दोस्तों , फ़िर गिद्ध मंडराने लगे
मौत का समान फ़िर जुटने लगा , कुछ कीजिये .....

7 comments:

Smart Indian said...

bilkul sach kahaa aapne.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहु सही कहा।
जरुर पढें दिशाएं पर क्लिक करें ।

परमजीत सिहँ बाली said...

बहु को बहुत पढें।

dpkraj said...

आपकी यह प्रस्तुति भावपूर्ण है।
दीपक भारतदीप

रश्मि प्रभा... said...

aahwaan sahi kiya

jasvir saurana said...

bhut sahi kha rhe hai aap. ati uttam.

डा ’मणि said...

प्रोत्साहन के लिए आप सभी का आभारी हूँ..