कुछ मुक्तक .... दीपावली पर लिखने मे आए
( इस बार दीपावली से कुछ ही दिनो पहले , बिहार , उड़ीसा , और बल्कि पूरे पूर्वोत्तर मे भयंकर बाढ़ का प्रकोप रहा , तो मान मे आया, कि )
" दें रत जगमगाती , और खुशनुमा सहर दें
हम उनकी झोलियों मे , खुशियाँ तमाम भर दें
जिनके घरों का सब कुछ सैलाब ले गया है
इस बार की दिवाली ,सब उनके नाम कर दें "
और आज के जिस तरह के हालात है , उनके चलते दिवाली पर एक मुक्तक
" कैसे रखेगा दीपक , कोई कहीं जलाके
कैसे चलाएगा अब , कोई कहीं पटाखे
हर आँख रो रही है , हर दिल सुबक रहा है
इस बार की दिवाली , को खा गये धमाके "
एक मुक्तक प्रार्थना का ...
" जो खो चुकी है वापस , पहचान चाहते हैं
हम हर कहीं पे फिर , से मुस्कान चाहते हैं
वो प्यार, भाई- चारा , भर दे यहाँ दुबारा
बस एक चीज़ तुझसे, भगवान चाहते हैं "
डॉ । उदय ' मणि '
094142 60806
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