
था हवा को मोड़ने , का दम हमारे हाथ में
आज तक भी है वही दम-ख़म हमारे हाथ में
इस जगह पर है अँधेरा , तुम अभी से मत कहो
है अभी तक रौशनी , मद्धम हमारे हाथ में
हम जिधर चाहें वहां पर धूप हो ,बरसात हो
आगया है इस तरह , मौसम हमारे हाथ में
हौसला है आज भी जो ,फाड़ दे आकाश को
साँस बेशक रह गयी है , कम हमारे हाथ में
मर रहे हैं आज वो कैसे 'उदय' के नाम पर
आ गए पूरी तरह हम-दम , हमारे हाथ में
आपकी सक्रिय प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में
डॉ उदय 'मणि' कौशिक
आज तक भी है वही दम-ख़म हमारे हाथ में
इस जगह पर है अँधेरा , तुम अभी से मत कहो
है अभी तक रौशनी , मद्धम हमारे हाथ में
हम जिधर चाहें वहां पर धूप हो ,बरसात हो
आगया है इस तरह , मौसम हमारे हाथ में
हौसला है आज भी जो ,फाड़ दे आकाश को
साँस बेशक रह गयी है , कम हमारे हाथ में
मर रहे हैं आज वो कैसे 'उदय' के नाम पर
आ गए पूरी तरह हम-दम , हमारे हाथ में
आपकी सक्रिय प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में
डॉ उदय 'मणि' कौशिक