रहता है अन्धेरा तो अन्धेरा घना रहे
दिन रात दिक्कतों से भले सामना रहे
इसके सिवाय कुछ भी नहीं चाहते हैं हम
बस माँ का हाथ सर पे हमेशा बना रहे
डा उदय मणि
नव वर्ष २०२४
1 year ago
जनकवि स्व . श्री विपिन 'मणि' एवं विख्यात चिकत्सक और युवा रचनाकार डॉ . उदय 'मणि' कौशिक की उत्कृष्ट हिन्दी रचनाएँ ....
2 comments:
जब तक माँ का साया है...
जीवन में निर्मल छाया है.
-बहुत उम्दा विचार!!
माँ तो माँ है ....... उसका साया बना रहना चाहिए .............
Post a Comment