बीते कुछ दिन मे हमारे आस पास आतंक और घ्रणा का बडा दुखद सा वातावरण रहा
और , कल पाकिस्तान की अति दुखद घटना के बाद एक न्यूज चैनल पे बहुत छोटे बच्चों को हथियारों सहित दिखया , उस पे एक मुक्तक सा लिखने मे आया , देखियेगा
" जिनकी आंखों मे तितली या तोते,चिडिया होने थे
जिन बच्चों के तन पे कपडे बढिया-बढिया होने थे
उनके हाथों मे बन्दूकें , बम , पिस्तौलें थमा दिये
जिन हाथों मे खेल खिलौने , गुड्डे , गुडिया होने थे "
सादर
डा. उदय ’ मणि’
नव वर्ष २०२४
1 year ago
2 comments:
सही है।
घुघूती बासूती
आज केवल आज अपने दर्द पी लें
हम घुटन में आज जैसे भी हो ,जी लें
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
देखना अपना सितारा जब बुलंदी पायेगा
रौशनी के वास्ते हमको पुकारा जाएगा
बहुत सुन्दर
Post a Comment