
कौन कहता है हमारे , साथ में अब तुम नहीं हो
तुम यहीं हो ,तुम यहीं हो ,तुम यहीं हो ,.......
आपकी खुशबू अभी तक आ रही है हर जगह से
आपको महसूस करते हैं पुरानी ही तरह से
किस घड़ी किस पल बताओ आपको हम भूल पाते
जागते सोते हमेशा आपको हम पास पाते
जिस सहारे की बदौलत आज तक पाया किनारा
आज तक भी मिल रहा है उँगलियों का वो सहारा
साफ सुनते हैं सभी हम हर दिवस में हर निशा में
आपकी आवाज अब तक गूंजती है हर दिशा में
आप हो आकाश सबका ,आप हम सब की जमीं हो
तुम यहीं हो , तुम यहीं हो , तुम यहीं हो ,.........
गर न होते आप कैसे ये चमन गुलजार होता
किस तरह हंसती हवाएं खुशनुमा संसार होता
किस तरह खिलते यहाँ पर फूल कलियाँ मुस्कुराती
सिर्फ सन्नाटा नज़र आता जहाँ तक आँख जाती
आंसुओं की धार बहती , होठ सबके थरथराते
कोयलों के कंठ से फ़िर गीत कैसे फूट पाते
किस तरह से दीप जलते दिख रहे होते यहाँ पर
फैल जाते घोर तं के पांव सारी ही जगह पर
आप हो मुस्कान सबकी ,आप हम सबकी हँसी हो
तुम यहीं हो , तुम यहीं हो , तुम यहीं हो ,...........
आपके दम से अभी तक कंपकंपी है बरगदों में
बिजलियाँ गिरती नहीं हैं पेड़ पौधों की जदों में
दम नहीं है आँधियों का , भूलकर इस ओर आयें
दम नहीं है नागफ़णियों का जरा भी सर उठायें
आपका हर इक इशारा रुख हवा का मोड़ता है
आपका साहस रगों में खून बनकर दौड़ता है
आपकी हर सीख देखो सत्य का ध्वज बन चुकी है
आपने जो आग बोई आज सूरज बन चुकी है
आंसुओं को पोंछ देती आपकी वो खिलखिलाहट
कौन भूलेगा बताओ आपकी वो जगमगाहट
इस उजाले को हमेशा याद रक्खेगा ज़माना
मौत के बस में नहीं है रौशनी को मर पाना
आप हो सांसें हमारी , हम सभी की जिंदगी हो
तुम यहीं हो ,तुम यहीं हो , तुम यहीं हो, ...........
डॉ .उदय 'मणि 'कौशिक
1 comment:
आपने अपनी मनोभावनाओं को बहुत सटीक प्रदर्शित किया है! उत्तम!
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