जागीर मत समझना , तुम भूलकर शहर को
हम साफ़ देखते हैं , बदलाव की लहर को
नाजुक बना लिए हैं , हम सब ने पाँव अपने
बेकार कोसते हैं , हम लोग दोपहर को
किसने कहा हवा में , बेहद जहर मिला है
बरसों से खा रहे हैं , हम लोग इस जहर को
ये हुक्म हो चुका है, तुम ख़ुद चुनाव कर लो
या रख सकोगे धड को , या रख सकोगे सर को
उसके ही चूमती है , ख़ुद पाँव कामयाबी
जिसने मिटा दिया है , नाकामियों के डर को
ये सोच कर सभी को हँसना सिखा रहा था
कुछ दिन तो याद रक्खे , दुनिया मेरे असर को
डॉ उदय ' मणि '
नव वर्ष २०२४
10 months ago
9 comments:
नाजुक बना लिए हैं , हम सब ने पाँव अपने
बेकार कोसते हैं , हम लोग दोपहर को
bahot khub,swabhivik lekhan ka mijaj lagata hai.. bahot maza aaya ..
aapko dhero badhai ..
किसने कहा हवा में , बेहद जहर मिला है
बरसों से खा रहे हैं , हम लोग इस जहर को
ये हुक्म हो चुका है, तुम ख़ुद चुनाव कर लो
या रख सकोगे धड को , या रख सकोगे सर को
waah bahut khub
Dr.Rama Dwivedi said...
नाजुक बना लिए हैं , हम सब ने पाँव अपने
बेकार कोसते हैं , हम लोग दोपहर को
किसने कहा हवा में , बेहद जहर मिला है
बरसों से खा रहे हैं , हम लोग इस जहर को
Bahut sundar...badhaayi aapako...
ek satik rachna..........
protsahit karne wali....
josh bharne wali.........
bahut umda........
aapka swagat hai....akshay-mann
"बदले-बदले से कुछ पहलू"
http://akshaya-mann-vijay.blogspot.com/
नाजुक बना लिए हैं , हम सब ने पाँव अपने
बेकार कोसते हैं , हम लोग दोपहर को
bahut hi achchhi saamagri milti hai is blog par jab bhi bhatakte hue aati hu.n..lekin ab hamesha aau.ngi...bahut achchha...!
कल स्वयं ही बेबसी की आंधियां रुकने लगेंगी
उलझने ख़ुद पास आकर पांव में झुकने लगेंगी
very positive thoughts wonderful"
Regards
डाक्टर साहब बहुत अच्छे!
उदय् जी
दाद कबूलें. एक एक शेर खूबसूरत है
मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन
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