न होते आज तक हम लोग भूखे और प्यासे से
बहलना छोड़ देते हम अगर झूठे दिलासे से
तमाशा कह रहे हो तो ,तमाशा ही सही लेकिन
बहुत बदलाव आएगा , हमारे इस तमाशे से
अभी हंस लो हमें छुटपुट पटाखे सा बताकर तुम
तुम्हारी धज्जियाँ उड़ जाएँगी इनके धमाके से
हमें झोंका समझते हो अभी तक आपने शायद
किले गिरते नहीं देखे , हवाओं के तमाचे से ..........
डॉ उदय 'मणि' कौशिक
94142 - 60806
नव वर्ष २०२४
1 year ago
5 comments:
sundar gajal ko padhane ke liye aabhar.
aaj apna samay n sahi kal
fir kal hamara samay ayenga.
ek n ek din fir badalav ayega
tamasho se kuch to badalav ayenge .
bahut badhiya .daktar uday ji badhai.
गज़ल पढ कर आनंद आ गया।बहुत बढिया गजल है।बधाई।
प्रतिक्रिया के लिए बहुत धन्यवाद् रश्मि जी,
ये सक्रियता आगे भी बनाये रक्खेंगी इसी कामना के साथ
डॉ उदय 'मणि' कौशिक
मुझे भी है विश्वास बदलाव का,
हमारी कोशिशें लायेंगी रंग,
बहुत अच्छा लगा है आपको पढना.
आपने जो कविता मुझे post की है,वो काफी अच्छी है,
आपसे परिचय होना अच्छा हुआ...
ब्लॉग add ठीक से नहीं दिया आपने,
मेरे rasprabha@gmail.com पर इसे भेज दें
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