tag:blogger.com,1999:blog-7094029625181033967.post9048190967925138393..comments2023-04-13T08:29:58.799-07:00Comments on मैं समय हूँ ...: तुम्हारी महफिलों में जब, हमारी बात होती है ..ग़ज़लडा ’मणिhttp://www.blogger.com/profile/12027202350989367311noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7094029625181033967.post-78577458368798826072009-03-09T03:56:00.000-07:002009-03-09T03:56:00.000-07:00बहुत अच्छा है...हमें मालूम है तुमको बहुत अच्छा नही...बहुत अच्छा है...<BR/><BR/>हमें मालूम है तुमको बहुत अच्छा नहीं लगता <BR/>तुम्हारी महफिलों में जब , हमारी बात होती है <BR/><BR/>हमारी जिंदगी तो जंग के , मैदान जैसी है <BR/>जहाँ कमजोर लोगों की , हमेशा मात होती है <BR/>वाह वाह ,, बहुत खूबयोगेश समदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/05774430361051230942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7094029625181033967.post-32478655607816617482009-03-09T03:51:00.000-07:002009-03-09T03:51:00.000-07:00मैं हर बार बस इतना लिख पाती हूँ कि " आप बहुत अच्छा...मैं हर बार बस इतना लिख पाती हूँ कि " आप बहुत अच्छा लिखते हैं"कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7094029625181033967.post-44321848034545161292009-03-09T02:44:00.000-07:002009-03-09T02:44:00.000-07:00हमें मालूम है तुमको बहुत अच्छा नहीं लगता तुम्हारी ...हमें मालूम है तुमको बहुत अच्छा नहीं लगता <BR/>तुम्हारी महफिलों में जब , हमारी बात होती है <BR/><BR/>हमारी जिंदगी तो जंग के , मैदान जैसी है <BR/>जहाँ कमजोर लोगों की , हमेशा मात होती है <BR/>waah bahut achhi gazal,ye sher bhut pasand aaye.mehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7094029625181033967.post-38190134158724716842009-03-09T02:32:00.000-07:002009-03-09T02:32:00.000-07:00उदय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...ये दहशत...उदय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...<BR/>ये दहशतगर्द हैं इनको , किसी मजहब से मत जोडो <BR/><BR/>न इनका धर्म होता है , न इनकी जात होती है <BR/>वाह वा...वा...लाजवाब शेर...और इस ग़ज़ल का हर शेर बब्बर शेर है...शानदार और जानदार...<BR/><BR/>ग़ज़ल के मकते से जगजीत सिंह जी की गयी ग़ज़ल का शेर याद आ गया:<BR/>बरसात का बदल तो दीवाना है क्या जाने<BR/>किस घर से गुज़रना है, किस घर को भिगोना है..<BR/><BR/>आपको होली की शुभकामनाएं....<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com